Jadui aam ka ped - जादुई आम का पेड़ - Magic Toons Hindi


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मनीषा को काफी ज्यादा बुखार होता है , और वो बुखार में तप रही होती है , तभी मनीषा की सास शोभा वहां आती है , और मनीषा को उठाते हुए कहती है |

शोभा :- अरे ओ महारानी , तेरी सुबह नही हुई क्या अब तक , चल जल्दी से उठ और मेरे लिए चाय बनाकर ला |



मनीषा [ तबियत खराब है ] ;- माजी , कल रात से मैं बुखार में तप रही हु , अब भी पूरा शरीर टूट रहा है मेरा , आज आप देवरानी से कह दीजिये चाय बनाने के लिए सुबह ही दवाई ली है , थोडा आराम मिलते ही मैं घर के सब काम कर दूंगी |

शोभा :- वाह वाह वाह , महरानी को अब आराम करना है |

शोभा अपनी बहु को सुना ही रही होती है , तभी शोभा की छोटी बहु सुमन वहां आ जाती है , सुमन दिखने में काफी सुन्दर होती है , और उसे अपनी सुन्दरता पर काफी ज्यादा घमंड भी होता है , सुमन , अपनी साड़ी मनीषा के उपर फेकती है , और मनीषा से कहती है |

सुमन :- ये लो जेठानी जी , मेरी साड़ी प्रेस कर दो , आज मुझे ये साड़ी पहनी है|

शोभा :- अरे वाह बहु , ये साड़ी तो तुझपर खूब जचेगी , लोग ऐसे ही मेरी छोटी बहु की तारीफ नही करते है , मेरी छोटी बहु तो है ही लाखो में एक , तभी तो लोग इतनी तारीफ करते है |



सुमन :- ये तो बिलकुल सही कहा आपने , लेकिन मुझे तो अपनी जेठानी को देखकर ही शर्म आती है , छि ये कितनी बदसूरत है , माजी आप यहाँ क्या कर रही हो वैसे ?

शोभा :- मैं तो यहाँ मनीषा को ये बोलने आई थी की मेरे लिए चाय बना दे , अच्छा मनीषा , पहले सुमन की साड़ी प्रेस कर दे , फिर मेरे लिए चाय बना दियो|

शोभा और सुमन दोनों वहां से मनीषा को काम थमा कर चले जाते है , मनीषा बेचारी , तबियत खराब होने के बाद भी घर के सारे काम करती रहती है , मनीषा को बदसूरत होने की वजह से काफी ताने भी सुने को मिलते रहते है , कुछ दिनों बाद सुमन अपनी सास के पास जाती है और अपनी सास से कहती है |



सुमन :- माजी सुनो ना , मुझे आपसे बहुत जरूरी बात कहनी है |

शोभा :- हां क्या हुआ बहु , बोल ना ?

सुमन :- माजी वो क्या है ना , पास वाले गाँव में बड़ा घर है ना , वहां पर एक काम करने वाले की जरूरत है , मुझे मेरे भाई ने बताया , तो मैं ये कह रही थी की हम वहां काम पर मनीषा दीदी को लगवा देते है , कुछ पैसे भी आयेंगे इसी बहाने |

सुमन की बात सुनकर शोभा तुरंत मनीषा को बुलाती है , और मनीषा से कहती है |

शोभा :- मनीषा , हमने तेरे लिए एक काम देखा है , पास वाले गाँव में बड़ा घर है ना , वहां काम करने वाली की जरूरत है तो अब से तू वही काम किया कर|

मनीषा :- माजी वो पास का गाँव काफी दूर है , वहां जाने के लिए ही हमे सुबह चार बजे निकलना पड़ता है , तो मैं इतनी दूर काम करने कैसे जाउंगी , और मुझे काम करने की जरूरत है , मेरे पति और देवर जी काम कर तो रहे है |

शोभा :- काम करने की क्या जरूरत है , अरे तू इतनी बदसूरत है की तेरा पति तेरे पास रहना तक नही चाहता है इसलिए वो शहर कमाने गया है , और तुझे कमाने के लिए बोल दिया तो तू बहाने बना रही है |

मनीषा :- माजी आप बाहर जाकर काम करने के लिए मुझे ही क्यों कह रही है , ये तो आप देवरानी जी को भी बोल सकती हो ना , वो भी तो इस घर की बहु है |

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सुमन :- ओ जेठानी जी , मैं आपकी तरह बदसूरत नही हु , और मैं काम करने के लिए बनी भी नही हु , एक तो आप इतनी बदसूरत हो उपर से आप अपनी बराबरी मुझसे कर रही हो , आप मेरे बराबर इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्म में भी नही आ सकती |

मनीषा :- देवरानी जी आप हमेशा मुझे बदसूरत होने के लिए क्यों बोलती हो , मैं आपसे बड़ी हु |

शोभा ;- बड़ी है तो क्या करे आरती उतारे , अरे तू इतनी बदसूरत है ना , की तेरे बच्चे भी तेरी तरह ही होंगे , वो तो सुमन है तो कही मुझे आस है की मेरे पोता पोती दिखने में सुनदर तो होंगे ना , और अब तू एक सवाल और मत कर , क्युकी काम तो तुझे करना ही पड़ेगा |

अपनी सास और देवरानी के दबाव की वजह से मनीषा अब दुसरे गाँव में काम करना शुरू कर देती है , काम करते हुए मनीषा को अब कई दिन हो गए थे , कुछ दिनों बाद मनीषा काम से जल्दी घर आ रही होती है और काफी ज्यादा धुप भी होती है |

मनीषा :- इतनी तेज धुप हो रही है , और इस धुप में तो चलना भी मुश्किल हो रहा है , भूख भी लग रही है , आज मैं ना घर से कुछ खाकर आई और ना ही खाना लायी थी , एक काम करती हु आस पास कोई नदी कुआ होगा तो वहां से पानी लेती हु , और किसी पेड़ की चाव में जाकर थोड़ी देर बेठ जाती हु |


यहाँ वहां देखने के बाद मनीषा को एक छोटी सी नदी दिखती है , मनीषा एक छोटे से मटके में पानी भरकर पानी पीती है और थोडा पानी लेकर पास में ही जो आम का पेड़ था उसके नीचे बेठ जाती है|

मनीषा :- यहाँ नदी होने के बावजूद ये पेड़ इतना सुखा क्यों है , कोई बात नही मैं ही इस पेड़ को भी पानी पिला देती हु , बेचारा ये भी पता नही कब से प्यासा होगा |

मनीषा पेड़ में पानी डालती है और पेड़ की छाव में ही बेठ कर खुद से बाते करके ही अपना सब दुःख बताती है , और रोने भी लगती है |

मनीषा :- मैं बदसूरत हु तो इसमें मेरी क्या गलती है , भगवान् ने देवरानी जी को सुन्दर बनाया है , और मुझे बदसूरत , माजी देवरानी जी क्यों मुझे इतना कोसती रहती  है हर बात के लिए |

मनीषा काफी रोती है और अपने दिल का पूरा गुब्बार निकाल देती है , कुछ देर बाद मनीषा वहां से जाने लगती है की तभी पेड़ से आवाज आती है |

आवाज :- धन्यवाद तुम्हारा , मैं एक बुढा पेड़ कब से प्यासा था, लेकिन अब तक मुझे किसी ने भी पानी नहीं पिलाया , तुम्हारा बहुत शुक्रिया , तुमने मेरे लिए इतना किया है , और अब मैं तुम्हे अपने पास से ऐसे ही परेशान नहीं भेज सकता हु |

मनीषा :- लेकिन आप मेरी मदद कर भी कैसे सकते है , मैं हु ही इतनी बदसूरत की हर कोई मुझसे नफरत ही करेगा ना , मेरा मजाक बनाएगा |

आवाज :- ये जादुई आम है , तुम इसे खाओगी तो तुम्हारी सारी समस्या हल  हो जाएगी , लेकिन ध्यान रहे , ये आम रात के अँधेरे में ही खाना है , और अगली सुबह तुम्हारा रंग रूप में जो निखार आएगा , फिर कभी भी तुम्हे कोई तुम्हारे रूप के लिए कुछ नही कह पायेगा |



मनीषा वो आम लाती है , मनीषा को काफी देर हो चुकी थी इसलिए सब घर वाले सो चुके थे , मनीषा भी अंदर जाती है और वो आम खाकर सो जाती है , अगली सुबह जब मनीषा उठती है तो वो सच में बहुत ज्यादा सुन्दर हो गयी थी , मनीषा घर के काम करने लगती है , और अपनी सास के पास चाय लेकर जाती है , मनीषा को इतना सुन्दर देखकर शोभा हैरान हो जाती है |

शोभा :- तू कौन है ?

मनीषा :- अरे माजी मैं मनीषा हु , आपकी बड़ी बहु |

शोभा :- अरे मनीषा , तू इतनी सुन्दर कैसे हो गयी , रुक रुक मैं तेरी नजर उतार देती हु , तू तो सुमन से भी बहुत ज्यादा सुन्दर हो गयी है , सबसे पहले तेरी नजर उतार देती हु , फिर तेरे पति को फ़ोन करके बताती हु |

मनीषा के सुन्दर होने के बाद तो शोभा बिलकूल बदल ही गयी थी , शोभा अब हर वक़्त मनीषा की तारीफ करती रहती , यहाँ तक की अब मनीषा से कोई काम भी नही करने को कहती थी , ये सब देखकर सुमन को बहुत जलन होने लगी थी , कुछ दिनों बाद सुमन , मनीषा से कहती है |


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सुमन :- दीदी , अब तो आप इतनी सुन्दर हो गयी हो मुझसे भी ज्यादा अच्छी लगती हो , वैसे आपकी इस सुन्दरता का राज क्या है , गलत मत समझना मैं तो बस पूछ रही हु |

मनीषा :- अरे इसमें गलत समझने वाली क्या बात है , कुछ दिनों पहले मैं पास वाले गाँव से जल्दी आ रही थी लेकिन धुप की वजह से मैं पानी ढूँढने लग गयी और छोटी सी नदी मिली फिर वहां से पानी पिया और आम का पेड़ पास में ही था और सुखा हुआ था इसलिए मैंने पेड़ पर भी पानी डाल दिया , तो वहां एक आवाज आई और उन्होंने मुझे जादुई आम दिया , जिसे खाने के बाद मैं सुन्दर हो गयी |

मनीषा की बात सुने के बाद , सुमन तुरंत आम के पेड़ के पास पोहच जाती है |

सुमन :- जब वो बदसूरत मनीषा मुझसे ज्यादा सुंदर हो सकती है , तब तो मैं इतनी ज्यादा सुंदर हु और अगर मैंने वो आम खाया , तब मैं कितनी ज्यादा सुन्दर हो जाउंगी |


सुमन भी ठीक वैसा ही करती है जैसा उसे मनीषा ने बताया था , सुमन को भी आम मिल जाता है , सुमन दिन के उजाले में ही आम खा लेती है , और फिर रात में सबके साथ खाना खाकर सो जाती है , अगली सुबह जब सुमन उठने के बाद आइना देखने जाती है तो खुद को देखकर चिल्लाने लगती है |

सुमन :- [ परेशान होकर ]  ये , ये मेरे चेहरे को क्या हो गया , इतना बदसूरत मेरा चेहरा कैसे हो गया |

सुमन की आवाज सुनकर वहां सब लोग आ जाते है , मनीषा को देखकर सुमन कहती है |

सुमन :- ( रोते हुए ) आपने मुझसे झूठ बोला ना जेठानी जी , वो आम खाने के बाद आप इतनी बदसूरत हो गयी |



मनीषा :-  ( बेचारी आवाज में )   नही मैंने कोई झूठ नही कहा है , भला मै तुमसे झूठ क्यों ही बोलूंगी वेसे तुमने वो आम कब खाया था |

सुमन :- मैंने तो कल दिन में ही खा लिया था |

मनीषा :-  शायद देवरानी जी इसलिए ही एसा हो गया हैं क्योकि उस पेड़ ने कहा था की ये जादुई आम रात के अँधेरे में ही खाना हैं 



मनीषा इतना कहकर सुमन उस पेड़ के पास लेकर जाती हैं और उस पेड़ से हाथ जोड़ के अपनी देवरानी के लिए गुजारिश करती हैं की मेरी देवरानी को पहला जैसा कर दो...........पेड़ उसकी अच्छाई देख कर खुश होता हैं  और उसकी देवरानी के पहले जैसा कर देता हैं जिसके बाद फिर कभी कोई मनीषा को कुछ नही कहता और सब ख़ुशी - ख़ुशी रहने लगते हैं |

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