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स्वाति को जैसे ही अपने भाई की शादी के बारे में पता चलता है , तो उसका मुह बन जाता है , और वो अपने कमरे में उदास होकर बैठ जाती है , स्वाति को उदास देखकर उसकी सास रमा आती है |
रमा :- क्या हुआ बहु , कब से देख रही हु मैं , जब से तूने अपनी माँ से बात की है तब से ही तेरा मुह बना हुआ है , क्या हुआ है ? कुछ बताएगी हमें ! कुछ कहा है क्या तेरी माँ ने ? वहां सब ठीक तो है ना बहु ?
स्वाति :- माँ वहां क्या होना है , वहां पर सब ठीक ही है |
रमा :- जब सब ठीक ही है , तो तेरा ये मुह क्यों बना हुआ है , देख बहु मैं तुझसे बार बार नही पूछने वाली हु , जो मैं तुझे पूछ रही हु वो तू बता दे , और अगर नही बताना है तो साफ़ मना कर दे |
स्वाति :- माँ अब आप ही बताओ की मैं मुह ना बनाऊ तो क्या करू , मेरे भाई की शादी होने वाली है |
रमा :- तो ये बहुत ख़ुशी की बात है , तू इस बात को लेकर उदास है की तेरे भाई की शादी होने वाली है , बहु तेरा दिमाग तो ठीक है ना , अपने मायके की ख़ुशी में तू रंग में भंग क्यों डाल रही है क्यों मुह लटका रही है |
स्वाति :- माजी आपको मेरे मायके की पड़ी है मेरी नही पड़ी ?
रमा :- बहु मुझे तेरी और तेरे मायके दोनों की पड़ी है , तेरे भाई की शादी उसी लड़की से हो रही है ना , जिसकी हमे तस्वीर दिखाई थी , लड़की तो बहुत सुन्दर है परिवार भी काफी अच्छा है और क्या चाहिए तुझे ?
स्वाति :- माजी, मेरे मना करने के बाद भी मेरे भाई की शादी उन लोगो ने ठण्ड में रखी है , अब आप ही बताओ इतनी ठण्ड में मैं कैसे तैयार होउंगी शादी में , और आपको पता है मेरा कितना मन था भाई की शादी में सज - धज के जाने का |
रमा :- बहु तूने इसलिए मुह बनाया है की तेरे भाई की शादी ठण्ड में है , तू इसलिए अब तक उदास थी ?
स्वाति :- और नही तो क्या माजी , अब आप खुद बताओ शादी क्या बारबार होती है , नही ना , अब जब एक ही बार होनी है मेरे भाई की शादी तो क्या मैं उसमे भी तैयार ना होऊ , ऐसे ही जाऊ |
रमा :- तो तुझे किसने मना किया है तैयार होने के लिए , तुझे जितना मन हो तैयार होने का जैसे मन हो , तू वैसे हो जाइयो ना , मैं तो खुद बोल रही हु तू अपने भाई की शादी में लहंगा पहन लियो |
स्वाति :- माजी इस ठण्ड में तो मुझे इतने मोटे मोटे कम्बल जैसे स्वेटर भी कम पड़ जाते है , तो फिर मैं अपने ही भाई की शादी में लहंगा पहनकर कैसे रहूंगी , ठण्ड में कांपते हुए मर जाउंगी मैं तो |
रमा :- बहु इतना अच्छा मौका है और तू कैसे अपशगुन वाली बात कर रही है , अरे शुभ शुभ बोल बहु |
स्वाति :- माजी , मेरे मायके वाले शादी का कार्ड देने आयेंगे तो उनसे आप ही बात करना और मेरी तरफ से मना भी कर देना , बोलना की हम लोग शादी ने नही आ सकते , मुझे नही जाना शादी में |
रमा :- बहु तू क्या पागल हो गयी है , बस इतनी सी बात को लेकर शादी में ही नही जायेगी , अरे ये तेरे सगे भाई की शादी है और अपने ही भाई की शादी में तू नही जायेगी सबको कैसा लगेगा ये सोचा तूने ?
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स्वाति :- माजी अभी तो फिलहाल मुझे सबकी नही अपनी ही पड़ी है , मेरा भी बहुत मन है शादी में जाने का लेकिन इतनी ठण्ड में मैं तो शादी में बिलकुल भी नही जा सकती हु |
स्वाति अपनी सास को साफ़ मना कर देती है शादी में जाने के लिए और जब यह बात स्वाति के घर वालो को पता चलती है तो उन्हें भी बहुत ज्यादा बुरा लगता है , स्वाति माने को तैयार ही नही थी , तो स्वाति का पति विजय उसके लिए एक बहुत ही प्यारी साडी लाता है |
विजय :- ये देखो स्वाति , मैं तुम्हारे लिए कितनी प्यारी साडी लाया हु ,अच्छा ये बताओ तुम ये वाली साडी , कौन सी रस्म में पहनोगी , तुम पर बहुत ज्यादा अच्छी लगेगी , देखो कितनी अच्छी है ना |
स्वाति :- हां विजय तुम सही कह रहे हो , साडी तो बहुत ही अच्छी है , लेकिन अफ़सोस की बात है मैं शादी में जाउंगी ही नही तो तुम्हारी ये साडी धरी की धरी रह जायेगी |
विजय :- स्वाति ये क्या बेकार की जिद्द लगा के बेठ गयी हो तुम , अरे तुमने अपने भाई से बात की थी ना , वो तुम्हे कितना मना रहा था , हमारी ना सही तो कम से कम अपने भाई की बात ही मान लो |
स्वाति :- नही , मैं किसी की बात नही सुने वाली हु , मुझे backless ब्लाउज पहना था , लेकिन जब मैं वो सब कपडे पहन ही नही सकती हु तो क्या फायेदा शादी में जाने का |
विजय :- माँ मैं तो इसे समझा समझाकर थक चूका हु , ये मेरी तो बात माने वाली नही है |
रमा :- जब ये तेरी ही बात नही मान रही है तो मेरी बात क्या ख़ाक मानेगी , अरे ये नही जायेगी तो लोग हमे ही बोलेंगे की हमने ही अपनी बहु को उसके सगे भाई की शादी में जाने नही दिया होगा |
स्वाति :- माजी , आप लोग इतना क्यों सोच रहे है , लोगो को तो फर्क भी नही पड़ेगा मेरे आने या ना आने से , तभी तो देखो ठण्ड में शादी रखी है ताकि मैं आ ही ना पाऊ , पता है ना मेरे मायके वालो को मुझे ठण्ड बिलकुल पसंद नही है और ना ही बर्दाश्त होती है , तभी तो इस ठिठुरने वाली ठण्ड में शादी रखी |
विजय :- तुम्हे ना अपने आगे कभी कोई दीखता ही नही है , उन्होंने जानकार थोड़ी ऐसा किया होगा , क्या पता यही मुहरत निकला हो और दूसरा कोई मुहरत अच्छा आस पास हो ही ना |
स्वाति ;- तो ठीक है ना , मुहरत को ही बेठा ले मेरी जगह शादी में , क्युकी मैं तो नही जाने वाली |
स्वाति को सबने बहुत मना रहे होते है , लेकिन स्वाति अपनी ही बात पर अडी रहती है , इसलिए स्वाति की सास , स्वाति की माँ अनीता और भाई दीपक को बुला लेती है |
रमा ;- बहन जी आपको तो पता ही है आपकी बेटी कितनी ज्यादा जिद्दी है , हम तो इसे समझाते समझाते थक गए है , ये हमारी तो बात सुन ही नही रही है , इसके सर से उपर से गयी है हमारी बाते अब आप ही कुछ करो |
अनीता :- स्वाति बेटा देख ना तेरी सास माँ सब लोग तुझे कितना मना रहे है , अब तो मान जा , तू ही नही आएगी अपने भाई की शादी में तो बहन वाली रस्म कौन करेगा , कोई दूसरी है क्या दीपक की बहन |
स्वाति :- माँ जब दीपक की मैं बहन हु तो मेरे बारे में क्यों किसी ने सोचा ही नही , आप लोगो ने ठण्ड में शादी रखी है तो अब आप लोग ही जाओ , मैं नही जाउंगी कही भी |
दीपक :- अब क्या तुझे अपने भाई से ज़रा भी प्यार नही है जो तू मेरी ही शादी में नही आएगी |
स्वाति :- मैं तो तैयार हु शादी में आने के लिए , लेकिन तुम ही शायद मुझे अपनी शादी में नही बुलाना चाहते , अगर बुलाना चाहते तो अब तक भी कुछ ना कुछ तो करते ही ना |
स्वाति की इस जिद्द को देखकर अनीता और दीपक , लड़की वालो से बात करके शादी का वेन्यू बदलवा देता है और दीपक बहुत ही सुन्दर लहंगा लेकर स्वाति के घर जाता है |
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दीपक :- तुझे ठण्ड बर्दाश्त नही होती है ना , इसलिए हमने बहुत महंगे बैंक्वेट में शादी रखवाई है जहाँ हीटर लगा रहता है , वहां तुझे बिलकुल भी ठण्ड नही लगेगी , अब तो तू आएगी ना मेरी शादी में ?
स्वाति :- कही तुम मजाक तो नही कर रहे हो ना मुझे अपनी शादी में बुलाने के लिए |
दीपक :- नही मैं कोई मजाक नही कर रहा हु , तुम चाहे तो अभी चलकर देख लो , तुम्हे बिलकुल भी ठण्ड नही लगेगी उस बैंक्वेट में , और देखो मैं तुम्हारे लिए कितना अच्छा लहंगा भी लाया हु |
स्वाति :- अब तो मैं शादी जरुर आउंगी |
दीपक :- तू बस मेरी शादी में आ जाए , इसलिए बहुत पापड़ बेले है मैंने , अब तो हो गया ना की तू मेरी शादी में आ रही है , अब कोई बहाना तो नही बनाएगी ना तू |
स्वाति :- नही भैया अब तो मैं जरुर आउंगी , मैं तो बस इसलिए ही रुकी थी कोई कुछ तो ऐसा करो जिसे मैं मना ही ना कर पाऊ शादी में आने का आखिरकार मेरे एकलौते भाई की जो शादी है |
स्वाति बहुत खुश हो जाती है , क्युकी अब उसकी वजह सेशादी में काफी बदलाव हो जाते है , अब शादी की तयारी जोरो शोरो से चल रही होती है , और जिस दिन बरात निकल रही थी उसे समय , स्वाति को Chickenpox हो जाते है , ये देखकर अनीता और रमा दोनों बहुत परेशान हो जाते है |
रमा :- हे भगवान् , बरात निकलने में अब कुछ देर और बची है , और यहाँ इसे माता हो गयी है , माता में तो कही बाहर भी नही जाते है , अब ये कैसे जायेगी |
स्वाति :- माजी मुझे नही पता , मेरे भाई की शादी है , और अपने भाई की शादी में मैं ही ना जाऊ , अच्छा थोड़ी लगेगा , एक रात की ही तो बात है , इतना तो मैं एडजस्ट कर ही सकती हु |
रमा :- नही कही नही जाना , हमारे में इसे अच्छा नही मानते है , और खुद को देख रही है ना , पुरे शरीर में दाने हो रखे है , ये शरीर लेकर जायेगी तू अपने भाई की शादी में |
स्वाति :- माजी शादी बार बार थोड़ी होती है , मुझे बहुत मन है जाने का , जाने दो ना |
अनीता ;- बहुत कलेश मचाया था ना , मैं शादी में नही आउंगी नही आउंगी , देख अब शायद भगवान ही नही चाहते है की तू अपने भाई की शादी में आये , अब तू घर पर ही आराम कर और विडियो में देखियो शादी |
रमा :- वैसे भी तुझे ठण्ड में शादी में जाने में कितनी ज्यादा परेशानी थी तो अब आराम कर |
स्वाति की बात आख़िरकार सच हो ही जाती है और वो अपने ही भाई की शादी में नही जा पाती है |
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