जादुई कद्दू का घर - Jadui kaddu ka ghar - Cartoon Stories - Magic Toons Hindi



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Narration- वीरपुर गांव में एक गरीब किसान शंकर, अपनी पत्नी माला के साथ रहाता था, वो खेती-बाड़ी करके अपने परिवार का पेट पाल रहा था…. और ये गरीब पति पत्नी इतने गरीब थे की एक टूटे हुए घास फूस के घर में रहते थे ….. एक रोज गांव की ही झुमरी शंकर से कहती है….


झुमरी- अरे शंकर जरा देख तो तू अपने घर को …..पुरे गांव में एक तेरा ही घर घास फूस से बना और टूटा हुआ है …..ऐसा लग रहा है कि तुम दोनों के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है।


शंकर- अरे आप तो सब जानती हैं ….. झूमरी भाभी पिछली बार फसल में जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई हम आज तक कर रहे हैं, भले ही इस बार की फसल अच्छी हुई हो, लेकिन सब कुछ देखकर चलना पड़ता है।




झूमरी- कम से कम इस टूटे हुए घर को तो ठीक करवा ले, इसे देखकर तो अब ,तुम पति-पत्नी पर मुझे भी तरस आने लगा है ।


माला- क्या कर सकते हैं, गरीबी न जाने कैसे कैसे दिन दिखाती है।


झूमरी : अरे इतना भी क्या गरीबी का रोना रोते हो, थोडा जोड़ जमा करके घर तो ठीक करा ही सकते हो या ऐसे ही रहने में अब तुम्हे मज़ा आने लगा है |

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Narration- झुमरी इतना कहकर वहां से चली जाती है , अब माला उदास हो जाती है , माला को उदास देख शंकर ,माला से कहता है।


शंकर- देखो माला गांव वालों की बातों से दुखी मत हुआ करो, कल कुंती काकी भी अपने घर को लेकर जो कुछ कह कर गई …उस बारे में भी तुम सोच ही रही थी कि, अब झुमरी भाभी ने भी ऐसा कह दिया…. मैं समझता हूं लेकिन हम जल्द ही अपना ये घर ठीक करवा लेंगे।


माला - नहीं नहीं ! मुझे बुरा तो नहीं लग रहा , लेकिन इस बात का दुख है कि, भगवान गरीबों को कितना दुख देता है ….चलिए कोई बात नहीं ये सोचेंगे तो सारा दिन सोचने में निकल जाएगा हमें खेत भी जाना है।


Narration- इतना कहकर शंकर और माला अपने खेत के लिए निकल जाते हैं, इस बार शंकर ने अपने खेतों में कद्दू की खेती कर रखी थी… और कद्दू की फसल भी लाजवाब हुई थी , गांव के लोग भी शंकर की मेहनत की खूब तारीफ कर रहे थे।


माला - नजर ना लगे हमारी मेहनत को ! देखिए कितना प्यारा लग रहा है खेत , ये इतने बड़े बड़े कद्दू देखकर मन खुश हो जाता है ।


शंकर- बिल्कुल ठीक कह रही हो तुम ,यह हमारी मेहनत का फल है…. जैसे-जैसे कद्दू पकते जाएंगे …हम उन्हें बेच देंगे उनमें से कुछ पैसे घर बनाने के लिए भी रख लेंगे ।



माला - हां पिछली बार जिस तरह से हमारी फसल तबाह हुई, उसे देखते हुए तो एक पल को मेरा दिल खेती बाड़ी से उठ ही गया था ……लेकिन आपने हिम्मत दिखाई…


Narration- अब देर शाम शंकर और माला घर चले आते हैं , दोनों खाना खाकर सो जाते हैं, अब अगली सुबह शंकर अपने खेत से कद्दू तोड़ने आता है , लेकिन वह देखता है उसके खेतों में कई सारे कद्दू गायब है।


माला- अजी कल यहां पर सबसे बड़ा कद्दू था , और यहां पर दो कद्दू और थे, वह भी नहीं है ! जरूर ये गांव के ही किसी चोर का काम है ।


शंकर- देखो माला हमारे खेत में कद्दू इतने लगे हुये है कि…. हमें एक दो कद्दू से कोई फर्क नहीं पड़ता…. और अगर किसी ने सब्जी बनाने के लिए कद्दू चुराया भी होगा…. तो कोई बात नहीं।


माला - ठीक है ! अगर आप ऐसा कह रहे हैं तो कोई बात नहीं ।

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शंकर- चलो अब पके हुए कद्दू तोड़कर जमा कर लेते है…. ताकि मैं उन्हें मंडी लेकर जाऊं।



Narration- इतना बोलकर दोनों पति-पत्नी कद्दू तोड़ने लगते हैं …..और पके हुए कद्दू तोड़ तोड़ कर जमा करते है| शंकर उन्हें मंडी ले जाकर बेच आता है। ऐसे ही अगली सुबह फिर शंकर के खेत में कद्दू की चोरी होती है | लेकिन इस बार कई सारे कद्दू गायब होते हैं जिसे देखकर शंकर अपना सर पकड़ लेता है।


शंकर- माला इस बार तो कद्दू चुराने वाले ने एक दो नहीं बल्कि 5 से ज्यादा कद्दू चोरी कर लिया है। हे प्रभु यह कौन है…. और हम गरीबों को क्यों सता रहा है।


माला- मुझे तो झुमरी पर शक है…..वही ऐसा काम कर सकती है….. उसे हमारी खुशी से हमेशा जलन होती रही है।


शंकर- हम किसी पर यूं ही इल्जाम नहीं लगा सकते ।


माला- कई घंटे बीत गए हैं सुबह से शाम होने को आई है, लेकिन आप घर नहीं जा रहे…. मैं घर जाकर खाना बना रही हूं ….आप समय पर लौट आइएगा… मैं आपको अभी घर आने के लिए भी नहीं कह सकती…. क्योंकि आप मेरी बात कहां ही मानते हैं।


माला- तुम घर जाओ मैं देर रात यहीं रुक कर कर…..उन चोरो का इंतजार करूंगा, आज तो मैं उसे रंगे हाथों पकड़ना चाहता हूं, आखिर मैं भी तो देखूं कि कौन है वो चोर ?



Narration- माला अपने पति शंकर की बात मानकर घर चली जाती है …..अब शंकर रात का अंधेरा होते ही पास के एक पेड़ के पास छुप जाता है …..और वो चोर के आने का इंतजार करने लगता है ….लेकिन ऐसे ही कई घंटे बीत जाते हैं शंकर की नजर अपने कद्दू के खेत पर ही थी लेकिन तभी वह देखता है कि उसके खेत के दो बड़े-बड़े कद्दू हिलने लगे हैं….. और वह हिलने डुलने के बाद खुद चलने लगते हैं….. यह देखकर शंकर को बड़ी हैरानी होती है….. और वह खुद से कहता है।

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शंकर (खुद से) - अरे यह क्या है ….यह कद्दू चल कैसे सकते है ….यह तो बड़ा अजीब है |


Narration- इतना कहकर शंकर उन दोनों कद्दू का पीछा करने लगता है, जो खुद ब खुद चलते हुए जंगल की तरफ जा रहे थे, अब कुछ दूर जाने के बाद कद्दू रुक जाते हैं, लेकिन शंकर वहां का नजारा देखकर हैरान था…. चारों तरफ बड़े-बड़े कद्दू रखे थे…. उन कद्दू के अलग-अलग डिजाइन थे…. ऐसा लग रहा था कि उसे किसी ने बनाया हो।


शंकर- अब समझा चोर तो यही आसपास है और ये सारे कद्दू मेरे ही है….. लेकिन उस चोर ने इन कद्दू का सत्यानाश कर दिया है…. देखो क्या अजीबोगरीब चीज बना रखी है इस कद्दू में।


Narration- इतना कहने के बाद शंकर चारों तरफ अपनी नज़रें दौड़ता है…. और अपने उन कद्दू में से एक कद्दू को जैसे ही उठाने लगता है। उस कद्दू में से उसे आवाज आती है।


बौना- रुक जाओ बड़े भाई कहां लेकर जा रहे हो हमारे घर को।


शंकर- अरे यह आवाज कहां से आई ….कौन है ! कोई सामने क्यों नहीं आता… किसकी इतनी हिम्मत हुई जो मेरे कद्दू को इस जंगल में लेकर आया है सामने आओ।


बौना- अरे भाई नीचे भी देख लो, हम तुम्हारे इतने लंबे चौड़े नहीं है लेकिन जैसे भी हैं अच्छे हैं।



Narration-अब जैसे ही शंकर की नजर नीचे जाती है उन्हें दो छोटे-छोटे लोग दिखते हैं ।और यह आवाज उन्हीं की थी। तभी वह बौने अपने हाथों से एक रोशनी प्रकट करते हैं….. और शंकर को भी अपने आकार का बना लेते हैं….. अब शंकर भी बौना हो चुका था ….और वह दोनों बौने शंकर को अपने कद्दू के घर में लेकर जाते हैं।


शंकर- तुमने मुझे अपनी तरह बना दिया, लेकिन मेरी पत्नी तो मुझे मरा हुआ समझ कर रोना धोना भी शुरू कर देगी सुबह तक….. नहीं नहीं मुझे मेरे जैसा कर दो।


बौना- तुम्हें कुछ भी नहीं होगा हम तुम्हें पहले जैसा बना देंगे ….लेकिन जिस कद्दू को तुम लेने आए हो…. असल में वह अब हमारा घर है यह देखो यह हमारा कद्दू का घर है ….और हमने तुम्हें यही दिखाने के लिए ही ,तुम्हारा आकार छोटा किया है।


शंकर- अरे यह देखकर मैं हैरान हूं कि, तुम लोगों ने कद्दू का घर बना रखा है….. वैसे तुम्हारा यह कद्दू का घर बहुत प्यार है….. अगर मैं भी तुम्हारे जितना होता तो इनमें से एक घर तो जरूर ले जाता…..लेकिन मेरा तो घास फूस का घर खुद ही टूट पड़ा है।


बौना- कोई बात नहीं मैं तुम्हारे घर को बहुत सुंदर बना दूंगा, क्या तुम भी कद्दू का घर चाहते हो।


शंकर- लेकिन यह संभव नहीं है, तुम कितने छोटे हो….. और हम कितने बड़े हैं तो भला हमारे लिए भी तो बड़ा कद्दू का घर होना चाहिए ना।



बौना - मेरे हाथों में जादू ही कुछ ऐसा है….. कुछ दिनों की मेहनत में ही हम तुम्हारे लिए कद्दू का एक बेहतरीन घर बना देंगे ……लेकिन उसके बदले में…. तुम्हें हमें कुछ और कद्दू देने होंगे उसके बाद हम अपनी कॉलोनी आसानी से बसा कर तुम्हारे कद्दू की खेतों में फिर कभी चोरियां नहीं करेंगे यह हमारा वादा है।


Narration- शंकर भी उन्हें और कद्दू दे देता है , लेकिन वो बौने रोज रात में शंकर के घर आते और कद्दू कि घर को धीरे-धीरे तैयार कर रहे थे…. गांव के लोग भी शंकर के घर के बाहर कद्दू देख उससे कई सवाल भी करते….


झुमरी : अरी माला ! ये इतने कद्दुओ का ढेर क्यों लगा रखा है ?


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माला : कुछ नही काकी, बस ऐसे ही रखे है | 

 

Narration-  माला उनके हर बात को टाल दिया करती, और कुछ ही दिनों में वह दोनों बौने रातों रात शंकर के लिए कद्दू का घर बना देते हैं, अब शंकर का कद्दू का घर बन चुका था । जो देखने में एक विशाल कद्दू जैसा ही था | दोनों अपना घर देखकर बहोत खुश होते है और बाकी गाँव वाले भी उनके घर को देखकर काफी तारीफ करते है |


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