रेनुका एक बहुत ही गरीब औरत थी ,जोकि राम मंदिर के बाहर प्रशाद बेचने का काम करती है , वो अपने सास ,ससुर के साथ रहती थी , उसके पति गोपाल कई साल पहले शहर कमाने के लिए गया था ,जोकि लौटकर नही आया था ,एक दिन वो प्रशाद लेकर राम मंदिर के अन्दर जाती है |
रेनुका :- राम जी मै कई सालो से आपकी सेवा में हूँ और सिर्फ एक ही पार्थना कर रही हूँ की मेरे पति को मेरे पास वापस भेज दीजिये , कितने सालो से उनकी कोई खबर नही मिल है , अब मुझसे और इंतजार नही हो रहा है |
रेनुका :- माँ जी , ससुर जी प्रशाद ले लीजिये , आज मै मंदिर गयी थी |
सास :- मुझे पता है की तूने भगवान से क्या माँगा होगा ? यही न कि तेरा पति वापस आ जाये ?
रेनुका :- हाँ माँ जी मैंने राम जी से यही माँगा है , जैसे हमे रोज़ी रोटी का जरिया दे दिया है वैसे ही मेरे पति को भी वापस भेज दे , मुझे और कुछ नही चाहिए |
सास :- तुझे यकीन है की तेरा पति लौट कर आएगा ,? इतने साल बीत गये है , अब मुझे कोई उम्मीद नही है |
रेनुका :- माँ जी आपको उम्मीद हो या ना हो लेकिन मेरे राम जी मेरी पार्थना जरुरु सुनेगे ,मेरे पति लौकर जरुरु आयेंगे |
सास :- मुझे तेरे विश्वास पर पूरा विश्वास है , की राम जी तेरा दिल कभी नही तोड़ेंगे ., हमने उनकी सेवा में कभी कोई कमी नही रखी है , तो वो हमारे बुढ़ापे का सहारा कैसे छीन सकते है |
रेनुका :- माँ जी भगवान के घर में देर होती है अंधरे नही , एक दिन वो जरुरु लौटकर आयेंगे |
सास :- भगवान करे तेरी ये इच्छा जल्दी ही पूरी हो |
रेनुका :- जी माँ जी , ऐसा ही होगा , मैंने आप लोगो के लिए खाना बनाके रख दिया है आप लोग समय से खाना खा लेना , मै दुकान पर जा रही हूँ , समय हो रहा है दुकान खोलने का |
सास :- बहु तू हमारी चिंता मत कर , हम अपना ख्याल रख लेंगे ,तू अपनी दुकान देख
रेनुका :- जी ठीक है माँ जी , मै आपसे शाम को मिलती हूँ |
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रेनुका इतना कहकर वहाँ से चली जाती है, और राम मंदिर के पास जाकर अपनी प्रशाद की दुकान लगा लेती है, कुछ देर बाद दर्शन करने वाले का आना जाना शुरू हो जाता है लेकिन उसकी गरीबी हालत देखकर कोई भी उसके पास प्रशाद लेने के लिए नही जाता था |
रेनुका :- कोई भी मेरी दुकान पर प्रशाद लेने के लिए क्यों नही आता है , अगर कोई मेरी दुकान से प्रशाद नही लेगा ,तो मेरे घर का खर्चा कैसे चलेगा |
सास :- क्या हुआ बहु तू आज कुछ परेशान लग रही है सब ठीक है ना |
रेनुका :- कुछ नही माँ जी ,बस आज कोई कमाई नही हुई इसलिए थोडा परेशान हूँ |
सास :- कोई बात नही आज कमाई नही हुई तो क्या हुआ , कल हो जाएगी ना |
रेनुका :- माँ जी मुझे अपनी चिंता नही है , मुझे ससुर जी की दवाई की चिंता है , अगर कल तक उन्हें दवाई नही मिली तो उनकी तबियत और ख़राब हो जाएगी |
सास :- बहु जो लोग दुसरे के बारे में सोचते है ,उनके बारे में भगवान् सोचते है , हर दिन एक जैसा नही होता है , और वैसे भी अब तेरी प्रशाद की दुकान खूब चलने वाली है |
रेनुका :- क्यों माँ जी ऐसा क्या होने वाला है , जिससे आपको इतना विश्वास है की हमारी प्रशाद की दुकान अच्छी चल जाएगी |
सास :- बहु लगता है तू परेशानी में भूल गयी है की 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी जिसमे बहुत लोग आयेंगे और सभी दर्शन करेंगे तो प्रशाद तो खरीदेंगे ही ना |
रेनुका :- हाँ माँ जी ये तो मैं भूल ही गयी थी , कल से मै और सुबह दुकान लगा दिया करुँगी |
सास :- हाँ , लेकिन उसके साथ साथ तू थोडा अच्छे कपडे भी पहन लिया कर , लोग गरीब समझकर और तेरे पास नही आते होंगे |
रेनुका :- माँ जी आप सही कह रही है , लेकिन मुझे अपने कपड़ो से पहले अपने परिवार वालो की जरूरतो को देखना है , मेरा तो सब चलता ही रहेगा |
सास :- सच में बहु तेरा कुछ नही हो सकता है |
अपनी सास की बाते सुनकर रेनुका को बहुत हिम्मत मिलती है और वो अगले दिन से फिर पुरे जोश के साथ मंदिर के बाहर अपनी प्रशाद की दुकान लगाती है , दिन बीतते है , और बीतते दिनों के साथ राम मंदिर का काम और जोर सोरो से बढ़ता है , लोगो का आना जाना शुरू हो जाता है , बीतते समय के साथ रेनुका का थोडा बहुत काम चलने लगता है जिससे उसके घर का गुज़ारा हो जाता है , एक दिन वो अपनी प्रशाद की दुकान पर बैठी होती है ,तभी वहाँ एक लड़की आती है |
लड़की :- मेरी माँ बहुत बीमार है ,क्या आप मुझे थोडा सा प्रशाद देंगी ताकि मै भगवान के दर्शन कर सकू ?
रेनुका :- हाँ बेटी मै तुम्हे जरुरु प्रशाद दूंगी , अगर तुम सच्चे दिल से पार्थना करोगी तो तुम्हारी माँ जरुरु ठीक हो जाएँगी |
लड़की :- लेकिन आंटी मेरे पास पैसे नही है , क्या आप मुझे फ्री में प्रशाद देंगी भगवान को चढाने के लिए |
रेनुका :- बेटी ये सब भगवान का ही दिया हुआ है , अगर तुम्हारे पास पैसे नही है फिर भी मै तुम्हे प्रशाद देने के लिए तैयार हूँ |”
रेनुका :- एक मिनट रुको बेटी ?
लड़की :- क्या हुआ आंटी आपने मुझे जाने से क्यों रोका ?
रेनुका :- बेटी तुमने कुछ खाया है ,या नही ?
लड़की :- नही आंटी जी मैंने और मेरी माँ ने आज दो दिन से कुछ नही खाया है , हमारे पास पैसे नही है ना इसलिए |
रेनुका :- कोई बात नही मै तुम्हे खाना दूंगी , तुम खुद भी खा लेना और अपनी माँ को भी खिला देना , तभी तो तुम्हारी माँ जल्दी ठीक होंगी |
लड़की :- आंटी जी आपको देखकर आज ये साबित हो गया की इस दुनिया में अच्छे लोग आज भी है वरना क्यों ही कोई किसी की मदद करता
रेनुका :- मैंने तुम्हारी मदद इसलिए करी क्यों की मै भी तुम्हारी तरह गरीब हूँ और तुम्हारी परेशनी को अच्छे से समझ सकती हूँ , क्यों की जिस परेशानी से तुम लड़ रही हो उसी परेशानी से मै भी लड़ रही हूँ |
लड़की :- आंटी जी मै आपकी ज्यादा मदद तो नही कर सकतीं हूँ ;लेकिन एक चीज़ में मै आपकी मदद कर सकती हूँ |
रेनुका :- तुम मेरी किस चीज़ में मदद कर सकती हो ?
लड़की :- आंटी आप मंदिर के बाहर राम भगवान का प्रशाद बेचती हो मै वही प्रशाद आस पास के सभी मंदिरों में बेचा करुंगी इससे आपके प्रशाद भी बिक जायेंगे और कमाई भी हो जाएगी , और हम दोनों गरीबो को एक दुसरे का सहारा भी मिल जायेगा ,शाम के समय आपको जो ठीक लगे वो आप मुझे दे देना |
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सास :- बहु अच्छा हुआ तू आ गयी ? देख न पता नही तेरे ससुर को पता नही क्या हो गया है कबसे आवाज़ दे रही हूँ लेकिन ये अपनी आंखे नही खोल रहे है |
रेनुका :- माँ जी आप परेशान मत होइए मै देखती हूँ ससुर जी को क्या हुआ है ?
सास :- हाँ बहु जल्दी से कुछ कर मुझे बहुत चिंता हो रही है , अगर इनको कुछ हो गया तो मै भी जिंदा नही रहूंगी |
रेनुका :- माँ जी ऐसा मत बोलिए , अभी सुबह तक तो ससुर जी ठीक थे , अचानक से इनको क्या हो गया ?
सास :- ये सब मेरी वजह से ही हुआ है, आज बहुत दिनों बाद मुझे अपने बेटे की बहुत याद आ रही थी मैंने उसकी बात शुरू दी इनके आँखों में आसू आ गये और रोते रोते बेहोश हो गये |
रेनुका :- माँ जी मैंने आपको कितनी बार बोला है की ससुर जी के समाने आप उनकी बात मत किया कीजिये आपको तो पता है न की डॉक्टर ने इन्हें किसी भी बात को लेकर चिंता करने से मना किया है , फिर भी आपने उनकी बात छेड़ी ससुर जी के सामने|
सास :- बहु मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी, ये बस जल्दी से ठीक हो जाये |
रेनुका अपने ससुर को जल्दी से हॉस्पिटल लेकर जाती है , लेकिन उकसी गरीबी देखकर कोई भी हॉस्पिटल वाले उसके ससुर को एडमिट करने से मना कर देते है , उसे कुछ समझ ने नही आता है की वो क्या करे ,वो भागते हुए राम मंदिर में जाती है और बोलती है |
रेनुका :- राम जी मैंने आजतक आपसे कुछ नही माँगा लेकिन आज मांगती हूँ मेरी मदद करिए, मै एक प्रशाद बेचने वाली कहाँ से इतने पैसे लेकर लाऊ जिससे मै ओपने ससुर जी का इलाज करवा पाऊं ,कोई तो चमत्कार करिए |
रेनुका सर झुकाए भगवान के सामने रो रही होती हो तभी एक आदमी पीछे से उसके कंधे पर आकर हाथ रखता है जोकि और कोई नही उसका पति गोपाल होता है जिसे देखकर वो हौरन हो जाती है |
रेनुका :- आप मेरे सामने है , मुझे यकीन नही हो रहा है , कही मै कोई सपना तो नही देख रही हूँ |
गोपाल :- नही तुम कोई सपना नही देख रही हूँ , मै गोपाल ही हूँ तुम्हारा पति , तुम इतना घबराई हुई क्यों हो ?|
रेनुका :- ससुर जी की तबियत बहुत ख़राब है , आपकी याद में पहले उनकी आवाज़ चली गयी, और अब वो अपनी आंखे नही खोल रहे है , पैसे ना होने के कारण कोई भी होस्पिटल वाले उनका इलाज शुरू नही कर रहे है ?
गोपाल :- तुम चिंता मत करो ,मै आ गया हूँ , सब ठीक हो जायेगा ,तुम मुझे वहाँ लेकर चलो ?
रेनुका अपने पति को लेकर हॉस्पिटल लेकर जाती है ,जहाँ वो डॉक्टर से बात करके सारे पैसे जमा करवाता है और अपने पिता का इलाज शुरू करवाता है ,कुछ देर बाद उसके पिता को होश आता है और वो अपने सभी घरवालो को इतने साल वापस ना आने का कारण बताता है साथ ही उन्हें मुसीबत में छोड़ कर जाने के लिए माफ़ी भी मांगता है , इतने सालो बाद उसके माता पिता अपने बेटे को पाकर और रेनुका अपने पति को पाकर उसकी सभी गलतियों को भुला देते है और एक साथ मिलकर राम मंदिर जाकर राम जी का धन्यवाद करते है |