Nagin ki dusri shadi - नागिन की दूसरी शादी - Adventure Stories


मंतिका अपनी शादी से ठीक दो दिन पहले दीपक से मिलने जाते है
, और दीपक कहता है |

दीपक :- देखा, मैंने तुमसे कहा था ना, की हमारी शादी होकर ही रहेगी, और देखो दो दिन बाद हम दोनों एक दूसरे के हो जायेंगे, दो दिन बाद हमारी शादी हो जायेगी |

मंतिका :- अब भी हमारी शादी में दो दिन है, मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा है, अगर कुछ ऐसा वैसा हो गया और हमारी शादी नही हो पायी, तो मैं जिन्दा नही रह सकती तुम्हारे बिना |

दीपक :- अरे मंतिका, तुम इतना घबरा क्यों रही हो, जब सब ठीक हो रहा है तो विश्वास रखो, हमारी शादी भी होकर ही रहेगी, हमारी शादी होने से कोई नही रोक सकता है |

मंतिका :- हां लेकिन पता नही क्यों मुझे अजीब सा डर लग रहा है, दीपक, जब से हम दोनों मिले है, तब से ही मैं तुम्हे पसंद करती हु और तब से ही चाहती थी की हमारी शादी हो जाए, लेकिन जब से हमारी शादी तय हुई है, तब से ही पता नही क्यों मेरे मन में एक अजीब सा डर है, कुछ समझ नही आ रहा है |

दीपक :- मुझे पता है . की तुम्हे ये डर क्यों लग रहा है, जब शादी होती है ना, तो ऐसे ही अजीब अजीब से ख्याल मन में आते है, लेकिन इन ख्याल को सोचकर हम अपना ये खुबसूरत पल तो नही खराब कर सकते है ना |

मंतिका :- तुम सही कह रहे हो दीपक, मैं जितना डर रही हु उसे कही ज्यादा खुश भी हु, की अब हमारी शादी होने वाली है, मैं तो तुम्हारे बारे में सब जानती हु लेकिन तुम मेरे बारे में कुछ नही जानते हो |

दीपक :- तुम मेरे बारे में सब जानती हो, और जितना मुझे तुम्हारे बारे में जानना जरूरी है, वो सब तो मैं जानता ही हु ना, तो ये क्यों बोलना की मैं कुछ नही जानता, और तुम किसी और बात के लिए परेशान लग रही हो |

मंतिका :- नही मैं ठीक हु, बस हमारी शादी होने वाली है ना, शायद इसलिए पता नही कौन कौन से ख्याल आ रहे है, एक पल में रोने लग जाती हु और एक पल में खुश हो जाती हु |



 दीपक, मंतिका को गले लगा लेता है, तभी चाँद की रोशिनी मंतिका के शरीर पर पडती है, और वो दीपक को खुद से दूर करते हुए कहती है |

मंतिका :- मुझे यहाँ से जाना है |

दीपक :- अभी तो आये है हम, और अचानक से तुम्हे क्या हुआ थोड़ी देर में तो चले ही जायेंगे |

मंतिका :- ही मुझे कुछ नही पता, मुझे बस यहाँ से जाना है मतलब यहाँ से जाना है |

दीपक :- अच्छा ठीक है, तुम इतनी परेशान हो रही हो तो मैं कुछ नही कहूँगा, चलो मैं तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ देता हु, ठीक है ना इसमें तो कोई परेशानी नही होगी तुम्हे |

मंतिका :- नही मुझे तुम्हारे साथ कही नही जाना, मैं अकेले भी जा सकती हु, और मैं जा रही हु, तुम भी सीधा अपने घर चले जाना, हम बाद में बात करेंगे अभी मेरा मन नही है बिलकुल भी |

 इतना कहकर मंतिका वहां से चली जाती है, ये सब देखकर दीपक हैरान हो जाता है, लेकिन वो फिर भी मंतिका को कुछ नही कहता है, और वो भी कुछ देर में वहां से अपने घर चला जाता है, मंतिका क्या है क्या नही ये सब दीपक को बिलकुल भी नही पता था, दो दिन बाद मंतिका जिसे प्यार करती है उसे उसकी शादी हो रही होती है, लेकिन तभी मंडप में एक अमन नाम का लड़का आता है, और शादी को रोकते हुए अमन कहता है |



अमन :- ये शादी नही हो सकती, मंतिका तुम दूसरी शादी कैसे कर सकती हो |

मंतिका :- तुम कौन हो, और तुम यहाँ क्या कर रहे हो, दीपक मैं इसे नही जानती कौन है ये ?

अमन :- मंतिका तुम झूठ क्यों बोल रही हो, तुम तो मुझसे प्रेम करती थी ना, फिर तुम ये झूठ क्यों बोल रही हो, देखो मैं अमन तुम्हारे प्रेम ने मुझे यहाँ ले आया |

दीपक :- इसकी शक्ल कुछ जानी पहचानी सी लग रही है, क्या हम पहले भी कई मिल चुके है ?

मंतिका :- क्या दीपक, मैं यहाँ ये बोल रही हु की इस आदमी को यहाँ से निकालो, और तुम हो की इसे बाते करने में लगे हो, अरे निकालो ना इसे, हमारी शादी में पता नही कहाँ से आ गया |

अमन :- मंतिका, तुम क्यों ये सब कर रही हो, मुझे पता है तुम ये सब जान बुझकर कर रही हो, लेकिन ये सब करने का कोई फायेदा नही है, मैं तुम्हारा प्रेमी यहाँ तुम्हारे सामने खड़ा हु |



मंतिका :- दीपक अब अगर तुमने मेरी बात नही सुनी और इसे यहाँ से बाहर नही निकाला तो मैं ये शादी यही तोड़ दूंगी, अरे कोई भी आदमी यहाँ आकर कुछ भी बोल रहा है, और तुम चुप चाप सुन रहे हो, ज़रा भी शर्म है या नही |

दीपक :- माफ़ कर दो मंतिका, तुम सही बोल रही हो, रुको मैं इस आदमी को अभी निकालता हु |

 दीपक उस आदमी को वहां से निकाल देता है, और वो दोनों शादी कर लेते है, शादी करने के बाद जब दीपक आराम कर रहा होता है तो मंतिका नागिन रूप में आती है और अपनी शक्तियों की मदद से नागलोक में जाती है जहाँ अमन को देखकर मंतिका उसे गले लगा लेती है और रोने लग जाती है |

मंतिका :- तुम जीवित हो, तुम्हे ऐसे जीवित देखकर मेरे प्राण में प्राण आ गए, किन्तु अब तक तुम कहा थे, मैंने तो देखा था की उसके परिवार वालो ने मिलकर तुम्हे मार दिया, फिर तुम जीवित कैसे |

अमन :- मंतिका, मुझे मारने की कोशिश तो की गयी थी, किन्तु जिसके सर पर भोलेनाथ का हाथ हो, भला उसे कौन मार सका है, यु समझ लो भोलेनाथ ने ही मुझे बचाया है |

मंतिका :- और मेरे माता पिता, उनका क्या हुआ वो भी जीवित होंगे फिर तो |

अमन :- नही, वो नही जीवित है, उनकी मिर्त्यु उसी समय हो गयी थी, किन्तु मंतिका तुम दूसरी शादी क्यों कर रही हो, तुम्हारा पति तो मैं हु ना, और मेरे होते हुए दूसरी शादी करने का क्या अर्थ है |

मंतिका :- यहाँ अर्थ मेरे लिए व्यर्थ है, जो उन लोगो ने मेरे साथ किया है, उन्हें उनका परिणाम तो भुगतना पड़ेगा ही, और मैं उन्हें उनके अंजाम तक पोहचा के ही रहूंगी, किन्तु मुझे तुम्हे यु जीवित देखकर बहुत ही प्रसन्नता हुई, और अब मुझे यहाँ से चलना चाहिए, वरना शक हो जाएगा किसी को |

 मंतिका इतना बोलकर वहां से चली जाती है, मंतिका का मकसद क्या था मंतिका के नागिन रूप के बारे में दीपक और उसका पूरा परिवार बिलकुल अनजान था, मंतिका धरतीलोक जाकर अपने साधारण कपड़ो में आ जाती है और अपनी सास रमा के पैर छूती है |


                 

मंतिका :- माजी मुझे आशीर्वाद तो, की मैं वो सब कर पाऊ, जिस लिए मैं इस घर में शादी करके आई हु |

रमा :- भगवान् तुझे सारी बुरु बला, और बुरी नजर से बचाए, और तू वो सब कर सके जो तू करना चाहती है, जिस लिए तू इस घर में आई है, बहु तुझे ज्यादा सोचियो मत जो भी शादी के दिन हुआ था वो सब बस एक सपना समझकर भूल जा, शादी बियाह में तो अक्सर ये सब होता रहता है ना |

मंतिका :- माजी मैं भूलती नही हु कुछ, तभी तो मैं यहाँ आई हु शादी करके ताकि अपने मकसद को अच्छे से अंजाम दे पाऊ |

रमा :- मकसद ? कैसा मकसद ?

मंतिका :- यही की मैं आप लोगो को हमेशा खुश रखु, आप सबके चेहरे से मुस्कान कभी जाने ना दू |

रमा :- जिसकी इतनी प्यारी बहु हो, भला वो उदास ही क्यों हो, बहु तू सच में बहुत प्यारी है मेरे बेटे की पसंद पर मुझे नाज़ है ऐसी बहु तो हम भी नही ला पाते |

 रमा दीपक और उसका पूरा परिवार ये तक नही जानता था की मंतिका एक इंसान नही, बल्कि इंसान के रूप में एक नागिन है उसी दिन दीपक के चाचा चाची अचानक से मर जाता है |

दीपक :- माँ ये क्या हो रहा है, एक साथ दो दो जाने कैसे जा सकती है ?

रमा :- पक्का कुछ बड़ा और बहुत ही भयानक होने वाला है, भगवन बस बचा के रखे हम सबको |

दीपक :- बड़ा ? बड़ा क्या लेकिन, हमे कुछ होगा तो नही माँ ?

रमा :- तू इन सबकी चिंत मत कर और जा, जो भी होगा वो देखा जाएगा |



 रमा और उसका पूरा परिवार बहुत ही घबरा जाता है, दीपक अपने कमरे में जाता है जहाँ मंतिका तैयार हो रही होती है, दीपक उसकी कमर में जैसे ही हाथ डालता है, तुरंत मंतिका अपने नागिन रूप में आ जाती है जिसे देखकर दीपक बहुत ही घबरा जाता है और बोलता है |

दीपक :- त त तुम एक नागिन हो ?

मंतिका :- हां मैं एक नागिन हु, और मैं यहाँ तेरा और तेरे पुरे परिवार का खत्मा करने आई हु |

दीपक :- लेकिन क्यों, तुम तो मुझसे बहुत प्यार करती थी न, और तुमने तो कहा था की तुम मेरे बिना नही रह सकती, मैं तुम्हारा पति हु फिर तुम मुझे क्यों मारना चाहती हो मंतिका |

मंतिका :- पति, कौन सा पति तुमसे मेरी दूसरी शादी हुई, और पहली शादी के होते हुए दूसरी शादी नही हो सकती |

दीपक :- इसका मतलब उस दिन शादी में वो आदमी सच बोल रहा था, ये तुम्हारी दूसरी शादी थी |

मंतिका :- हां वो बिलकुल सच बोल रहा था, क्युकी मेरी पहली शादी उससे ही हुई, वो मेरे पति, और उन्हें ही तूने तेरे परिवार ने मिलकर मारने की कोशिश की थी ना |

दीपक :- मारने की कोशिश, लेकिन कब, हमने तो किसी को नही मारा |

मंतिका :- बड़ी जल्दी भूल गया ये सब तू, एक साल पहले मेरे माँ बाप को और मेरे पति को मारा था ना वो नाग नागिन थे एक मणि के चक्कर में उनकी ह्त्या कर दी थी ना तुमने, आज मैं तुम्हारी ह्त्या करुँगी, तब जाकर मुझे शान्ति मिलेगी |


 
इतना कहकर मंतिका दीपक को मार देती है, और उसके बाद उसके पुरे परिवार को भी मार देती है और वापस से अपनी पहली शादी अपने पहले पति के पास नागलोक में चली जाती है |

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