विशाखा एक पहाड़ी लड़की थी जिसे तरह तरह का खाना बनाना बहुत पसंद था, लेकिन विशाखा के हाथ का मोमोस बहुत खास होता था, ऐसे ही एक दिन विशाखा के घर कुछ मेहमान आने वाले थे तभी उसकी माँ गंगा बोलती है|
गंगा :- विशाखा हमारे घर कुछ मेहमान आने वाले है, मैं चाहती हु तू अपाने हाथ का मोमोस बनाकर उन्हें खिला दे, ताकि उनको लगे इससे पहले उन्होंने इतनी स्वादिस्ट मोमोस कही नही खाया हो|
विशाखा :- क्या माँ घर में जब भी कोई मेहमान आता है तो आप हमेसा मुझे मोमोस ही क्यू बनाने को बोलती हो, आपको क्या लगता है अगर मैंने उनको मोमोस बनाकर खिला दिया तो क्या वो बार बार मेरे हाथ का मोमोस खाने यहाँ आयेंगे |
गंगा :- मैं नही चाहती की वो बार बार यहाँ आकर खाए, लेकिन हां ये चाहती हु की जब भी वो कही बहार मोमोस खाए तो हमेसा तेरे हाथ के मोमोस याद रखे, की हां एक लड़की ने मोमोस खिलाया था उसके मुकाबले ये तो कुछ भी नही है|
विशाखा :- ओहो माँ आपको क्या लगता है की मैं ही इस दुनिया में बेस्ट मोमोस बनती हु, माँ मुझसे भी अच्छे मोमोस बनाने वाले है,और मैं उनके सामने कुछ भी नहीं हु, आपको लगता है मैं बेस्ट हु यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है|
गंगा :- बस अब मस्का मत लगा जितना चाहती हो मुझे अपनी बातो में घुमा लो, लेकिन मैं नही घुमने वाली, मैं तो अब भी बोलूंगी की तू मोमोस बनाये और उन मेहमानों को खिलाये बस, मेरी इतनी बात तो मान ही सकती हो |
विशाखा :- माँ आप बहुत चालक हो कितना भी बहलाने की कोशिश कर लू लेकिन आपको जो करना है आप वही कराती हो, मतलब अब मुझे उनके लिए मोमोस बनाने ही पड़ेंगे|
गंगा :- हां तुझे ही बनाने पड़ेंगे वैसे भी हमारे घर में और कोई है ही नहीं, जो तेरी तरह मोमोस बनाये तेरे हाथ के मोमोस की तो बात ही अलग है|
विशाखा अपनी माँ की बात मान लेती है ऐसे ही दुसरे दिन विशाखा मोमोस बनाने की तैयारी करने लगाती है, पनीर मोमोस, वेज मोमोस, तंदूरी मोमोस बनती है और जब मेहमान आते है तो मोमोस खाकर एक औरत विशाखा की तारीफ करते हुए कहती है|
लक्ष्मी :- अरे वाह क्या मोमोस बनाये है, सच बताऊ तो मुझे लगता था हम जैसे मोमोस खाते है वही बेस्ट है, लेकिन मेरी गलत फैमि थी जो आज ये मोमोस खाकर दूर हो गई|
गंगा :- हां मेरी बेटी बहुत अच्छा मोमोस बनती है, और हम सभी को इश्के हाथ के ही मोमोस खाना पसंद है, हम कभी भी बहार के मोमोस खरीद कर खाते ही नहीं है|
लक्ष्मी :- सही बात है जब घर में मास्टर सेफ है तो बहार खा खाकर अपना मूड और मुह क्यू ख़राब करना, मैं तो अपने बेटे के लिए ऐसी ही दुल्हन ढून्दुंगी जिसे मोमोस बनाने आते हो |
गंगा :- अच्छी बात है कभी हमें भी खिलाना अपनी बहु के हाथ के मोमोस, हम भी टेस्ट करके बताएँगे की आपकी बहु के हाथ के मोमोस स्वादिस्ट बना है या मेरी बेटी के हाथ का |
सभी के बिच बाते होती रहती है और लोग जामकर विशाखा के हाथ के मोमोस की तारीफ करते है, कुछ दिनों बाद जब गंगा अपने घर के काम कर रही होती है तभी वाह गंगा की पड़ोसन सुनीता आती है और गंगा से कहती है|
सुनीता :- क्या बात है गंगा बहन मैंने सुना है तुम्हारी बेटी को देखने बहुत मेहमान आये थे, और पसंन्द भी कर के जा चुके है एक बार भी बताने की जरूरत नहीं समझी ना|
गंगा :- क्या बात कर रही हो मेरी बेटी को देखने लोग कब आये थे, और तुम्हे ये सारी बाते किसने बताई और हां मेहमान तो आये थे, लेकिन कुछ काम से विशाखा के पिताजी के ऑफिस के मेहमान थे, वो विशाखा को देखने नहीं आये थे|
सुनीता :- बस बस मुझसे झूठ बोलने की कोई जरुरत नहीं है मुझे सब कुछ पता होता है, भले मैं उस दिन घर पर नहीं थी लेकिन बाते तो मेरे कान तक आही जाती है |
गंगा :- हां वो तो आएगी ही आल इंडिया रेडिओ जो हो तुम, पहले तुम्हारे कान में बाते घुसेंगी फिर तुम पुरे मोहल्ले में सुनाती फिरोगी |
सुनीता :- अरे तारीफ कर रही हो या ताने दे रही हो, वो क्या है ना तारीफ भी अब तानो जैसा लग रहा है लेकिन सच बताऊ तो मुझे अब ताने भी अच्छे लगते है, तो जितना मर्ज़ी हो उतना ताने मार सकती हो|
गंगा :- हां ये बात तो सच है की तुम तानो से डरती नही है और ना ही मुह फुलाकर बैठ जाती है, अच्छा सुनो ना तुमने मेरी बेटी के बारे में क्या सुना है ज़रा बात सकती हो, क्यू की सच कहू तो मैंने अभी तक कोई बात नही सुनी अपनी बेटी के बारे में|
सुनीता :- कैसी माँ है तुम्हे अपनी बेटी के रिश्ते के बारे में कुछ नही पता, अरे कोई लक्ष्मी नाम की औरत थी वो तुम्हारी बेटी के लिए अपने बेटे का रिश्ता लेकर आने वाली है|
गंगा :- अरे हा वही तो मेरी बेटी के हाथ का बना मोमोस खाकर बहुत तारीफ कर रही थी, और बोल रही थी मैं भी ऐसे ही मोमोस बनाने वाली बहु लेकर आउंगी बापरे उनका इशारा मेरी बेटी की तरफ था मुझे तो पता ही नहीं चला|
सुनीता :- अब ऐसा करो जाकर उन लोगो के लिए तैयारिया करो, पता नही कब आ जाये|
गंगा :- लेकिन तुम्हे ये सारी बाते कैसे पता चला, जब की मुझे विशाखा के पिताजी ने अभी तक कुछ बताया भी नहीं है|
सुनीता :- उस ग्रुप में मेरे भी पति है तो लक्ष्मी जी ने उनसे बात की और तुम्हारे पति से भी, इसी लिए मैंने तुमसे कहा लेकिन तुम्हे तो सच में कुछ पता ही नहीं था |
गंगा जल्दी से जाकर अपने पति से विशाखा के बारे में पूछती है तभी अशोक उसे सारी बाते बताता है, और बोलता है की आज ही विशाखा को देखने के लिए लक्ष्मी जी और उनका बेटा आने वाला है तभी गंगा गुस्से में बोलती है|
गंगा (गुस्से में) s:- क्या बात कर रहे हो आप आपने अभी तक क्यू नहीं बताया की हमारी बेटी को देखने कोई आ रहा है, क्या ये सारी बाते आपको मजाक लगता है, अब उन लोगो को मना कर दो मैं नही दिखने वाली अपनी बेटी को|
अशोक :- अरे इतना गुस्सा क्यू हो रही हो मुझे पता है मैंने कुछ नही बताया, और हां वो लोग अचानक आना चाहते थे इसी लिए बताने को मना किया था तो मैं इश्मे क्या करू|
गंगा :- हे भगवान मैं भी ना इनके साथ रहकर पागल हो जाउंगी जी तो करता है कही दूर चली जाऊ,फिर संभालो आप ही सब कुछ तब पता चलेगा कैसे क्या होता है |
अशोक :- अरे भाग्यवान ऐसे चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा और हां गुस्सा को शांत करो, शांत हो जाओगी तो सब कुछ आराम से हो जायेगा, वैसे भी वो लोग बस हमारी विशाखा को देखने ही तो आ रहे है कौन सा आज ही लेकर चलेर जायेंगे|
गंगा :- सच में आपका कुछ नही हो सकता, भला कोई इन्शान इतना शांत कोई कैसे रह सकता है आपको कोई फ़िक्र हो भी रही है या नही मुझे मालूम नही लेकिन मेरा गला सुखा जा रहा है|
अशोक :- मैं तो शांत हु मुझे पता है अगर मैं उनके आने के बाद कुछ ना भी करू तो भी मेरी बेटी को पसंद कर लेंगे क्यू की वो विशाखा को देखने आ रहे है खाना खाने नही |
गंगा :- बस जी बस, इतना भी खुद को माहान सोचने की जरूरत नही है, अब मैं विशाखा को क्या बोलू कैसे बोलू अगर इसने सुन लिया तो बहुत गुस्सा करेगी, नहीं मैं कुछ नही बोलने वाली जो बोलना है आप ही बोलो उसे |
गंगा और अशोक की सारी बाते विशाखा सुन लेती है और जाकर तैयार हो जाती है, कुछ देर बाद लक्ष्मी और उसका बेटा उनके घर आते है और विशाखा को पसंद कर शादी की डेट फिक्स करते है, कुछ वक़्त के बाद विशाखा की शादी हो जाती है और ससुराल में पहुचते हु उसकी सास उसे चाबियों का गुच्छा देते हुए कहती है |
लक्ष्मी :- बहु ये ले तेरी जिमेदारी अगर तू काम करना चाहती है तो कर सकती है या फिर इस ढाबे को रेंट पर दे सकती है जो तेरी मर्ज़ी हो वही कर |
विशाखा :- लेकिन माँ जी ये किस लिए आपने दिया वो तो बता दीजिये, अगर मूझे लगा की मैं ये जिमेदारी ले सकती हु काम कर सकती हु, तो मैं जरुर अपना ढाबा खुद चलाऊँगी लेकिन आपने क्या सोचकर मुझे इस ढाबे की चाबी दी पहले ये तो बताइए|
लक्ष्मी :- जब से मैंने तेरे हाथ का मोमोस खाया है तब से मैं तेरे हाथ का मोमोस वाला स्वाद कही नही पाया, मैं चाहती हु तू मोमोस का ढाबा खोल ले और सभी को पता लगे की मेरी नयी बहु का मोमोस ढाबा खुल गया है, और उस ढाबे में स्वादिस्ट मोमोस मिलता है |
विशाखा :- लेकिन माँ जी मैं नयी बहु हु तो क्या मैं मोमोस का ढाबा खोल सकती हु, कोई कुछ नहीं कहेगा क्या|
लक्ष्मी :- कोई कुछ कह कर दिखाए तो और पहले तुम ये बताओ की तुम्हे मोमोस का ढाबा खोलना है या नही, अगर नही जवाब है तो मत करो अगर जवाब हां है तो मैं तो कहूँगी कल से ही मेरी घर की नयी बहु का मोमोस ढाबा खुल जाये और पहली रसोई भी वाही हो जाए |
विशाखा :- ठीक है माँ जी तो मैं कल से ही अपना मोमोस का ढाबा खोलूंगी मुझे भी अच्छा लगेगा की मैं अपने ससुराल में नहीं हु बलकी अपने मइके में हु|
लक्ष्मी :- अरे हां मुझे भी तुम्हारे मइके वालों को तुम्हारी पहली रसोई में बुलाना है और मोमोस टेस्ट करवाना है, और पूछना है आपकी बेटी स्वादिस्ट मोमोस बनती है या मेरी बहु|
लक्ष्मी की बात सुनकर सभी हसने लगते है,और अगली सुबह सभी नयी बहु का मोमोस ढाबा में जाते है और मिलकर मोमोस बनाने की तैयारी करती है, और साथ ही नयी बहु का मोमोस ढाबा भी खुल जाता है|