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रूही काफी मोटी थी, हमेशा ही वो खाती रहती थी, रूही की माँ रूही की शादी एक आदित्या नाम के लड़के से करवा देती है, आदित्या भी बिलकुल ठीक नही था, उसे भी कभी कभी भूलने की बिमारी थी, रूही की शादी होती है और वो अपने ससुराल आती है, तभी रूही की सास माला बोलती है |
माला :- बहु, अब ये तेरा ही घर है, तुझे कभी भी किसी भी चीज़ की जरूरत पड़े, तो मुझसे बेजिझाक होकर बोल दियो, ये मत सोचियो की ये तेरा ससुराल है तो कैसे बोलेगी, ये अब तेरा ही घर है |
रूही :- जी माजी, मैं समझ गयी आपकी बात |
माला :- बहुत अच्छी बात है समझ गयी तो, चल अब मैं तुझे तेरे कमरे में छोड़ देती हु |
रूही :- माजी, वो मैं कह रही थी, की मुझे बहुत भूख लग रही है, अगर आप कुछ खाने का मेरे कमरे में भिजवा देती तो अच्छा रहता है, और थोडा ज्यादा भिजवाना माजी |
माला :- लेकिन बहु, अभी तो कुछ बना भी नही है खाने के लिए, बनाना पड़ेगा और शादी बियाह में सब ही बहुत ज्यादा थक गए है, तो खाना कौन बनाएगा अब इस समय, तू कल सुबह खा लियो ना |
रूही :- नही माजी, मुझसे भूख बर्दाश्त नही होती है ., और शादी में मैंने कुछ भी नही खाया था, माँ बार बार बोली जा रही थी की मैं ज्यादा ना खाऊ, मुझे दिक्कत हो जायेगी इसलिए खाया ही नही मैंने कुछ |
माला :- बहु अब तू खुद बता की क्या कर सकते है हम, देख बुरा मत मानियो बहु, लेकिन मैं साफ़ बता रही हु मुझमे तो अब हिम्मत नही है की मैं तेरे लिए कुछ भी बनाऊ, मैं तो बस अब सोना चाहती हु|
रूही :- तो माजी बाहर से ही कुछ मंगवा लो, ये तो सही रहेगा ना, इसमें कुछ करना भी नही पड़ेगा आपको |
माला :- हां ये तो बहुत सही है बहु, लेकिन इसमें भी एक दिक्कत है, वो क्या है ना बहु, मुझे ये फ़ोन चलाना नही आता है, तो तुझे जो भी मंगवाना है अपने पति आदित्या से बोल वो मंगवा लेगा, मैं जा रही हु सोने |
आपनी सास की बात सुनकर रूही, सीधा अपने पति के पास जाती है और बोलती है |
रूही :- सुनिए ना, मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है, आप कुछ बाहर से मंगवा लीजिये ना |
आदित्या :- काफी रात हो रही है, तुम्हे इतनी रात को भूख लगी है ?
रूही :- हां मुझे ज्यादातर रात को ही भूख लगती है, मैंने माजी को कहा था की कुछ खाने का मन है तो उन्होंने बताया की रसोई में कुछ भी नही है और उन्होंने ही कहा की मैं आपसे बोलू कुछ मंगवाने को |
आदित्या :- अच्छा, चलो ठीक है, तुम जाओ चेंज कर लो, मैं तब तक कुछ मंगवाता हु वैसे क्या खाना है तुम्हे, तुम खुद ही बता दो मैं क्या आधे घंटे देखू की क्या मंगवाना है |
रूही :- एक काम करना पिज़्ज़ा मंगवा लेना, वो क्या है ना मुझे पिज़्ज़ा बहुत पसंद है |
आदित्या :- ठीक है |
आदित्य, रूही के कहने पर तुरंत बाहर से खाना आर्डर कर देता है, कुछ देर बाद जब आर्डर आता है, तो आदित्या ही दरवाजा खोलने जाता है |
डिलीवरी वाला :- भैया आपका आर्डर |
आदित्या :- कौन सा आर्डर, हमने तो कुछ आर्डर नही किया, ये क्या ले आये हो आप ?
डिलीवरी वाला :- सर आपके ही एड्रेस से आर्डर मंगवाया है, पूछ लीजिये क्या पता घर में किसी ने मंगवाया होगा |
आदित्या :- मुझे पता है किसी ने नही मंगवाया आप यही बोल रहे हो ना, की हम पैसे दे दे, तो भैया आप कही और जाओ, क्युकी हमने तो कुछ भी आर्डर नही किया है, आप किसी गलत पते पर आये हो|
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आदित्या भूल जाता है की उसने कुछ मंगवाया भी है,और डिलीवरी वाले से बहस करने लग जाता है, तभी वहां रूही आती है, और उन दोनों को देखकर बोलती है |
रूही :- अरे आदित्या ये क्या हो रहा है, क्यों बहस कर रहे हो इतना ?
आदित्या :- देखो ना रूही, हमने कुछ भी मंगवाया ही नही है, और ये पता नही कहाँ से यहाँ आ गए और बार बार बोले जा रहे है की ये हमारा आर्डर है, तुम ही बताओ हमने कुछ मंगवाया है ?
रूही :- आदित्या, तुम भूल गए क्या, मैंने ही तो कहा था की बाहर से आर्डर करो |
रूही डिलीवरी वाले से खाना लेती है और दोनों अंदर आ जाते है, रूही जैसे डब्बा खोलती है, तो देखती है उसने पनीर और नान है |
रूही :- ये क्या, मैंने तुम्हे कहा था आदित्या की पिज़्ज़ा मंगवाना है, तुमने नान मंगवा लिए |
आदित्या :- पता नही, मुझे याद नही है |
रूही :- माँ ने बताया था मुझे की मेरा पातु भुलक्कड़ है, लेकिन ये नही बताया की इतना ज्यादा भुलक्कड है, अरे इन्हें तो आधी बात याद ही नही रहती |
रूही को पता चल गया था की उसका पति भुलक्कड है, अब रूही इस बात का फायेदा उठती है, ऐसे ही कई दिनों बाद, रूही, अपने पति से कहती है |
रूही :- आदित्या, मैंने तुम्हे कब से कहा है की मेरे लिए कुछ मंगवा लो खाने का|
आदित्या :- हां तो मैं तुम्हारे कहने से लेकर तो आया था ना बर्गर |
रूही :- भूल गए तुम फिर से आदित्या, कब लाये बर्गर, मैंने तो बर्गर देखा भी नही है घर में कब आया, और तुम बोल रहे हो की लाये थे, अरे कितना भूलते हो तुम, जाओ मेरे लिए बर्गर लाओ |
रूही, अब आदित्या का फायेदा उठाती और कुछ ना कुछ मंगवाती ही रहती थी, ऐसे ही कई दिन निकल जाते है, कई बार तो आदित्या, टोक भी देता है लेकिन रूही उसे भुलक्कड बोलकर पागल ही बना देती है, कुछ दिनों बाद रूही, आदित्या पर बहुत गुस्सा कर रही थी |
रूही :- आदित्या, तुम्हारी भूलने की आदत की वजह से मैं खाना तक नही खा पा रही हु ढंग से, मैं तुम्हे कुछ भी लाने को कह दू, तुम तो हमेशा ही भूल जाते हो |
आदित्या :- मुझे सच में याद है, [ पर्ची दिखाते हुए ] ये देखो पर्ची, मैंने पर्ची बनाई थी, मैं तुम्हारे लिए लाया था नूडल्स, और तुम्हे दिया भी था रूही |
रूही, आदित्या से लड़ाई ही करी जा रही थी, तभी वहां माला आती है |
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माला :- अरे क्या हो गया, तुम दोनों क्यों इतना लड़ाई कर रहे हो ?
रूही :- माजी देखिये ना, मैंने आदित्या को कहा था की नूडल्स ले आना, लेकिन ये तो है भुलक्कड, भूल गए नूडल्स लाना, और अब झूठ भी बोल रहे है की ये नूडल्स लाये थे |
आदित्या :- माँ मैं सच बोल रहा हु, मैंने पर्ची पर लिख लिया था की रूही ने नूडल्स मंगवाए है, और मैंने याद से लाया भी था, ये देखो टिक कर रखा है, की मैं लाया था नूडल्स |
माला :- बहु झूठ तू मत बोल, मेरा बेटा भुलक्कड है, तो तू उसका फायेदा मत उठा, इसे भले ही तू झूठा बोल दे लेकिन मैं भुलक्कड नही हु, मैंने तुझे देखा था नूडल्स लेते हुए |
रूही अपनी सास की बात सुनकर बिलकुल चुप हो जाती है, लेकिन अब आदित्या बहुत तंग हो चूका था अपनी मोटी बहु से, उसे बहुत गुस्सा आती थी वो इतना खाती थी, अब आदित्या अपने भूलने की बिमारी का फायेदा उठाने लगता है, ऐसे ही कई दिनों बाद, आदित्या करेला लेकर जाता है और रूही को देता है |
आदित्या :- ये लो रूही, तुमने करेला मंगवाया था ना, देखो मैं ले आया हु करेला, अब मत बोलना की मैं भूल गया और जो तुमने मंगवाया था वो नही लाया हु |
रूही :- अरे मैंने करेला नही केक मंगवाया था, तुम्हे करेला और केक में अंतर नही पता है क्या |
आदित्या :- रूही झूठ मत बोलो, मुझे अच्छे से याद है तुमने यही बोला था की अब डाइट पर हो तुम इसलिए अब से तुम बस सेहतमंद ही खाना खाओगी, तभी तो मैं करेला लाया हु ना |
रूही :- नही आदित्या, मैंने सच में केक ही कहा था तुम भूल गए हो फिर |
आदित्या :- तो अब करेला ही खाओ, मैं भूल गया होंगा, लेकिन अब जो आया है उसमे ही काम चलाओ |
रूही :- तुमसे तो बोलना ही बेकार है |
आदित्या :- जब इतना ही बेकार है मुझसे कुछ भी बोलना, तो मुझसे बोलते ही क्यों हो, कोई जबरदस्ती तो है नही, मत बोला करो ना कुछ, भुक्कड़ कही की |
रूही :- मैं भुक्कड़ हु, तो तुम भी भुलक्कड हो, हमेशा भूलते ही रहते हो कुछ ना कुछ, और मैं तुमसे ही बोलूंगी, अपनी आदत सुधार लो भूलने की, क्युकी मैं तो सुधरने वाली नही हु |
रूही बहुत परेशान हो रही थी, क्युकी वो कुछ भी कहती आदित्या को लाने के लिए तो आदित्या उसका उल्टा ही लाता था, ऐसे ही कई दिन निकल जाते रगे थे और भुलक्कड़ पति की मोटी पत्नी की नोक झोक चालु ही रहती है, कुछ दिनों बाद फिर आदित्या जान बुझकर गलत खाने की चीज ले आता है और भूलने का नाटक करने लगता है |
रूही :- तुम्हे बाकी सब तो याद रहता है, बस मेरे खाने की चीज़े ही भूलनी होती है, कोई दुश्मनी है क्या तुम्हारी मुझसे, जो इस तरह कुछ भी ले आते हो और मुझसे दुश्मनी निकाल रहे हो |
आदित्या :- अरे मैं वही लाता हु जो तुम बोलती हो, लेकिन फिर भी तुम्हे पता नही कौन सी दिक्कत है, अरे इतनी दिक्कत है तो खाना ही बंद कर दो ना, अब इतना खाती हो तो एडजस्ट भी कर ही लो |
दोनों का फिर से झगड़ा शुरू हो जाता है, और फिर माला वहां आती है और बोलती है |
माला :- तुम दोनों को चैन नही है, क्यों इतना झगड़ा करते रहते हो |
आदित्या :- माँ रूही को देखो, खुद जो बोलती है वही लाता हु और फिर भी गुस्सा |
रूही :- माजी सब उल्टा पुल्टा लाते है ये, लिख के दो, तो भी कुछ भी उठा लाते है |
माला :- तुम दोनों ही बहुत चालाक हो, आदित्या मुझे सब पता है तू ये सब जानकार करता है ताकि तेरी मोटी बीवी और मोटी ना हो, और रूही भी जानकार ही करती है ताकि उसे तेरे भुलक्कड होने की वजह से और खाना मिल पाए, दोनों अनजान मत बनो, मेरा ही जीना हराम करते रहते हो |
आदित्या + रूही :- हस्ते हुए |
दोनों को ही सब समझ आता है, जिसके बाद दोनों अब एक दुसरे की परेशानियों का फायेदा नही उठाते, बल्कि एक दुसरे का साथ देते है |